MP ट्रांसपोर्ट गाइडलाइन
MP ट्रांसपोर्ट गाइडलाइन : मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग ने हाल ही में रोड चेकिंग और चेक पोस्ट्स पर हो रही अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नियमों का मकसद पारदर्शिता लाना और ड्राइवरों के साथ हो रहे शोषण को रोकना है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या ये नियम वाकई असरदार होंगे या फिर कुछ दिनों की सख्ती के बाद सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा?
इस लेख में हम नए दिशा-निर्देशों की पूरी जानकारी, उनके पीछे की वजह, जमीनी स्तर पर हो रही समस्याएं और इन नियमों की सफलता की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
MP ट्रांसपोर्ट गाइडलाइन नए दिशा-निर्देशों की मुख्य बातें
मध्य प्रदेश के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने भ्रष्टाचार और ड्राइवरों के शोषण को रोकने के लिए कुछ अहम नियम बनाए हैं। यहां इनका सरल विवरण दिया गया है:
1. चेकिंग के लिए अधिकारी का होना अनिवार्य अब वाहनों की जांच केवल तभी होगी जब सहायक परिवहन उपनिरीक्षक (Assistant Transport Sub-Inspector) या उससे ऊपर का अधिकारी मौजूद होगा। इससे छोटे स्तर के कर्मचारी मनमानी नहीं कर पाएंगे। | 2. वर्दी और नेमप्लेट अनिवार्य चेकिंग करने वाले स्टाफ को पूरी वर्दी और नेमप्लेट पहनना होगा। इससे नकली अधिकारियों या गुंडों द्वारा वसूली की घटनाएं कम होंगी। |
3. प्राइवेट व्यक्तियों की मनाही चेकिंग के दौरान कोई भी प्राइवेट व्यक्ति (जैसे कंपाउंडर, ठेकेदार या दलाल) शामिल नहीं हो सकता। अक्सर ऐसे लोग ड्राइवरों से पैसे ऐंठते हैं, जिस पर अब रोक लगेगी। | 4. केवल POS मशीन से चालान अब मैनुअल चालान (हाथ से लिखकर) बंद हो गया है। सभी जुर्माने POS मशीन (डिजिटल पेमेंट) से ही लिए जाएंगे, जिससे कैश में रिश्वत लेने की गुंजाइश कम होगी। |
5. एक बार में केवल एक वाहन की जांच अब एक समय में सिर्फ एक ही वाहन रोका जा सकेगा। अगर कोई वाहन 15 मिनट से ज्यादा रोका जाता है, तो इसकी जांच होगी। | 6. रात की चेकिंग में सुरक्षा का ध्यान रात में चेकिंग करते समय पर्याप्त रोशनी और सुरक्षा का इंतजाम करना होगा। इससे ड्राइवरों को परेशानी नहीं होगी और गलत तरीके से रोकने की घटनाएं कम होंगी। |
7. बॉडी कैमरा अनिवार्य चेकिंग करने वाले अधिकारियों को बॉडी कैमरा पहनना होगा। पूरी प्रक्रिया रिकॉर्ड की जाएगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी। | 8. नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई अगर कोई अधिकारी इन नियमों का पालन नहीं करता, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। |
MP ट्रांसपोर्ट गाइडलाइन जमीनी हकीकत: क्या वाकई बदलाव होगा?
नियम बनाना आसान है, लेकिन उन्हें लागू करना मुश्किल। मध्य प्रदेश के कई ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट कर्मचारियों ने बताया है कि भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं। कुछ मामले:
1. “रुपये लेकर छोड़ने की डील”
- कई ड्राइवरों ने बताया कि अधिकारी छोटे-छोटे नियमों का हवाला देकर रुपये वसूलते हैं और बिना चालान काटे छोड़ देते हैं।
- अब POS मशीन अनिवार्य होने से यह कम हो सकता है, लेकिन नए तरीके ढूंढे जा सकते हैं।
2. “मशीन के नाम पर रुपये की मांग”
- कुछ चेक पोस्ट्स पर “मशीन खराब है” का बहाना बनाकर कैश में पैसे ऐंठे जाते हैं।
- अगर बॉडी कैमरा सही तरीके से इस्तेमाल हो, तो ऐसी घटनाएं रुक सकती हैं।
3. दोहरे चालान (फर्जी पर्चियां)

- कुछ मामलों में एक ही गलती के लिए दो चालान काट दिए जाते हैं।
- डिजिटल सिस्टम आने से यह कम होगा, लेकिन तकनीकी गड़बड़ियों का बहाना भी बन सकता है।
4. सिंगरौली और सागर में दुर्व्यवहार
- सिंगरौली और सागर जैसे इलाकों में ड्राइवरों के साथ मारपीट और गाली-गलौज की शिकायतें आई हैं।
- बॉडी कैमरा और सख्त निगरानी से ऐसी घटनाओं पर रोक लग सकती है।
MP ट्रांसपोर्ट गाइडलाइन : क्या ये नियम स्थायी होंगे या सिर्फ दिखावा?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ये नियम लंबे समय तक लागू रहेंगे? आदेश के अंत में लिखा है:
“कुछ दिनों तक इन निर्देशों का पालन किया जाए।”
यह वाक्य संदेह पैदा करता है कि कहीं यह सख्ती सिर्फ कुछ दिनों के लिए तो नहीं? अगर ऐसा हुआ, तो सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा।
MP ट्रांसपोर्ट गाइडलाइन: क्या होगा भविष्य में?
- अगर बॉडी कैमरा, POS मशीन और सख्त निगरानी सही तरीके से लागू होती है, तो भ्रष्टाचार कम हो सकता है।
- लेकिन अगर कुछ दिनों बाद नियम ढीले पड़ गए, तो सिस्टम वापस पुराने तरीके से चलने लगेगा।
- ड्राइवरों और आम जनता को शिकायत दर्ज करने के लिए सक्रिय रहना होगा।
MP ट्रांसपोर्ट गाइडलाइन
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग का यह कदम सराहनीय है, लेकिन इसकी सफलता पूरी तरह से लागू करने पर निर्भर करती है। अगर सरकार वाकई भ्रष्टाचार रोकना चाहती है, तो इन नियमों को स्थायी रूप से लागू करना होगा।
MP ट्रांसपोर्ट गाइडलाइन में आपका क्या विचार है? क्या ये नए नियम भ्रष्टाचार रोक पाएंगे, या फिर कुछ दिनों बाद सब कुछ भुला दिया जाएगा? कमेंट में बताएं!