हिमाचल वाहन स्क्रैपिंग नीति, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए जाना जाता है, आज पुराने वाहनों के कारण होने वाले प्रदूषण से जूझ रहा है। राज्य सरकार ने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और सड़क परिवहन को सुगम बनाने के उद्देश्य से 7,000 सरकारी वाहनों को स्क्रैप करने का निर्णय लिया है। हालांकि, इस कदम का असर राज्य के कई महत्वपूर्ण विभागों के कामकाज पर पड़ेगा।
वाहन स्क्रैपिंग नीति का महत्व
पुराने वाहन न केवल वायु प्रदूषण बढ़ाते हैं, बल्कि ईंधन की खपत भी अधिक करते हैं। हिमाचल वाहन स्क्रैपिंग नीति की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए, जहां सड़कों का रखरखाव चुनौतीपूर्ण है, इन वाहनों से होने वाला प्रदूषण राज्य की पारिस्थितिकी को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इसके मद्देनजर, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने वाहन स्क्रैपिंग नीति को सुचारू रूप से लागू करने के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता की मांग की है।

परिवहन मंत्रियों की बैठक में उठाए गए मुद्दे
नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित परिवहन मंत्रियों की राष्ट्रीय बैठक में हिमाचल के उपमुख्यमंत्री ने राज्य के परिवहन क्षेत्र से जुड़े कई अहम मुद्दे उठाए। उन्होंने हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों और कम वाहनों की संख्या के कारण आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की।
1. वित्तीय सहायता का मुद्दा
वाहन स्क्रैपिंग नीति को लागू करने में हिमाचल को कई वित्तीय और तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उप मुख्यमंत्री ने केंद्र से स्क्रैपिंग असेंबली की लागत को कम करने और इसके लिए विशेष सहायता प्रदान करने की मांग की।
2. एआईटीपी बसों की समस्या
राज्य में संचालित अखिल भारतीय पर्यटक परमिट (AITP) वाली बसों के संचालन को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई। ये बसें राज्य में स्टेज कैरिज बसों के रूप में काम कर रही हैं, जबकि उनके पास केवल कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट है। इन बसों और स्टेट कैरिज बसों के बीच करों की दरों में भारी अंतर है, जिससे राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
पर्यावरण पर संभावित प्रभाव
पुराने वाहनों को स्क्रैप करने का निर्णय पर्यावरणीय दृष्टिकोण से एक सकारात्मक कदम है। इससे प्रदूषण स्तर में कमी आएगी, ईंधन की खपत कम होगी, और सड़क पर नए व आधुनिक तकनीक वाले वाहन आ सकेंगे। लेकिन हिमाचल की कठिन भौगोलिक स्थिति और सीमित संसाधन इस प्रक्रिया को चुनौतीपूर्ण बना देते हैं।
हिमाचल वाहन स्क्रैपिंग नीति के लिए वित्तीय सहूलियत की जरूरत
हिमाचल सरकार ने केंद्र से पूंजी निवेश के लिए विशेष केंद्रीय सहायता प्राप्त करने की समय सीमा को 31 मार्च 2025 तक बढ़ाने का अनुरोध किया है। यह कदम वाहन स्क्रैपिंग नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने और राज्य की वित्तीय चुनौतियों को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

संभावित समाधान और सुझाव
- राज्य के भीतर स्क्रैपिंग यूनिट की स्थापना
यदि हिमाचल में ही स्क्रैपिंग यूनिट स्थापित की जाती है, तो वाहन मालिकों के लिए यह प्रक्रिया सरल और किफायती हो जाएगी। - पुराने वाहनों के लिए प्रोत्साहन
वाहन मालिकों को पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, जिससे वे इसे एक सकारात्मक कदम मानें। - AITP बसों के लिए कर ढांचे में सुधार
AITP और स्टेज कैरिज बसों के कर ढांचे में संतुलन लाकर, राज्य सरकार राजस्व घाटे को कम कर सकती है। - जनता के बीच जागरूकता फैलाना
वाहन स्क्रैपिंग नीति के लाभों के बारे में लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। इससे न केवल नीति को स्वीकृति मिलेगी, बल्कि राज्य का पर्यावरण भी संरक्षित होगा।
निष्कर्ष
हिमाचल वाहन स्क्रैपिंग नीति, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध, पर्यावरणीय संरक्षण और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। हालांकि, वाहन स्क्रैपिंग नीति को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए राज्य को वित्तीय और तकनीकी सहयोग की आवश्यकता है। उपमुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए मुद्दे राज्य की प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। यदि केंद्र और राज्य मिलकर इन चुनौतियों का समाधान करते हैं, तो यह नीति न केवल हिमाचल बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकती है।