हाइलाइट्स:
- टोलकर्मियों की गुंडागर्दी का लाइव वीडियो वायरल
- ट्रक ड्राइवर से डंडों से मारपीट, गाड़ी का शीशा तोड़ा गया
- मामला दर्ज, टोल बंद, लेकिन क्या यह काफी है?
ट्रक ड्राइवर से मारपीट
मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले से एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसे देखकर हर ट्रक ड्राइवर, हर वाहन चालक और हर आम नागरिक के मन में यह सवाल उठना लाज़मी है — क्या हमारे देश में टोल नाके सुरक्षा के लिए बने हैं या डर का अड्डा बन चुके हैं?
यह घटना सिर्फ एक ड्राइवर की नहीं है, यह उस पूरे सिस्टम पर सवाल है जो सड़क पर ट्रकों को रोकता है, जबरन वसूली करता है और विरोध करने पर लाठी, डंडे और गालियों से स्वागत करता है।
घटना का विवरण:
📍स्थान: सहजपुर टोल नाका, गैरतगंज, ज़िला रायसेन
🗕तारीख: 20 मई 2025
🕚समय: रात 11:35 बजे
ड्राइवर करेली से सोयाबीन बीज भरकर सुजालपुर जा रहा था। टोल राशि को लेकर सवाल पूछना इतना भारी पड़ गया कि टोलकर्मी गुंडों की तरह टूट पड़े। डंडों, गालियों और नशे में चूर कर्मचारियों ने न सिर्फ ड्राइवर को पीटा बल्कि उसकी गाड़ी का साइड मिरर और कांच भी तोड़ डाला।
ड्राइवर का बयान:
ड्राइवर ने FIR में बताया:
“मैंने केवल पूछा था कि टोल राशि बोर्ड से अलग क्यों है? जवाब में गालियां, डंडे और मारपीट मिली। मेरी गर्दन में चोट आई है और गाड़ी का नुकसान हुआ है।”
साथ में मौजूद अनिल मालवीय ने गवाह के तौर पर घटना की पुष्टि की।
कानूनी कार्यवाही:

इस मामले में भारतीय न्याय संहिता 2023 की निम्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया:
धारा 296 – सार्वजनिक उपद्रव | धारा 1152 – जानबूझकर चोट पहुंचाना |
धारा 20235 – संपत्ति को नुकसान | धारा 324 – खतरनाक हथियार से चोट |
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए संबंधित टोल प्लाज़ा को अस्थाई रूप से बंद कर दिया है।
टोल प्लाज़ा की असलियत: टोल नहीं, डकैती का अड्डा
आज देशभर के ट्रक ड्राइवरों की यही शिकायत है कि टोल नाके एक वसूली केंद्र बन चुके हैं। बॉर्डर, चेक पोस्ट, और अब टोल पर रोज़ाना किसी न किसी ड्राइवर को गालियां, थप्पड़, या फिर डंडे पड़ते हैं।
प्रश्न ये उठता है:
- क्या टोलकर्मियों की कोई जांच होती है?
- क्या इन पर कोई निगरानी रखी जाती है?
- CCTV होते हुए भी ये खुलेआम गुंडागर्दी क्यों करते हैं?
- ड्राइवर को अपनी जान की कीमत चुकानी क्यों पड़ती है?
ड्राइवर का विरोध: जब अन्याय सहने से इंकार किया गया
इस बार ड्राइवर ने चुप नहीं बैठने का फैसला लिया। टोल बंद करवाया, FIR दर्ज कराई और पूरे मामले को सार्वजनिक किया। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आया।
लेकिन सवाल अब भी कायम हैं:
- क्या बाकी टोल नाकों की भी जांच होगी?
- क्या इस टोल प्लाजा पर लगे सभी कर्मचारी जांच के दायरे में आएंगे?
- क्या ड्राइवरों को न्याय मिलेगा?
समाधान क्या है?
- CCTV की लाइव निगरानी: हर टोल प्लाज़ा की CCTV फीड जिला मुख्यालय या राज्य स्तर पर लाइव ट्रैक होनी चाहिए।
- बॉडी कैमरा अनिवार्य: जैसे पुलिस कर्मियों के पास होता है, वैसे ही टोल स्टाफ के लिए बॉडी कैमरा अनिवार्य किया जाए।
- हेल्पलाइन नंबर: हर टोल प्लाज़ा पर ट्रक ड्राइवरों के लिए एक इमरजेंसी हेल्पलाइन होनी चाहिए, जो तुरंत सहायता दे सके।
- ट्रेनिंग और पुलिस वेरिफिकेशन: हर टोल कर्मचारी का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए और उन्हें इंसानियत और व्यवहार की ट्रेनिंग दी जाए।
ड्राइवरों की आवाज दबे नहीं, उठे
ट्रक ड्राइवर हमारे देश की आर्थिक रीढ़ हैं। उनका सम्मान, सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी है। किसी भी टोलकर्मी या अधिकारी को यह हक नहीं कि वह सवाल पूछने पर लाठी चलाए।
आज एक ड्राइवर ने आवाज उठाई है, कल हजारों उठें—यही इस लड़ाई का मकसद होना चाहिए।
यदि आप इस तरह के मुद्दों पर नियमित जानकारी चाहते हैं या खुद कोई अनुभव साझा करना चाहते हैं, तो जुड़े रहिए TDriveLife.com और आवाज़ बनिए देश के ट्रक ड्राइवरों की।