ट्रक ड्राइवर नीति:प्रस्तावना
हाल ही में दिल्ली में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट काउंसिल की 42वीं बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में 27 राज्यों के परिवहन मंत्रियों ने हिस्सा लिया और 17 अहम मुद्दों पर चर्चा की। सरकार ने कई नई नीतियां पेश कीं, जिनका उद्देश्य ट्रांसपोर्ट सेक्टर को बेहतर और विश्वस्तरीय बनाना है। हालांकि, ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि इन नीतियों से उनका सीधा फायदा नहीं हो रहा। आइए, इन नीतियों का विश्लेषण करते हैं और समझते हैं कि क्या ये वास्तव में ट्रक ड्राइवरों की समस्याओं को हल कर पाएंगी।
एक्सीडेंट विक्टिम्स के लिए कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम

सरकार ने एक नई स्कीम शुरू की है, जिसके तहत एक्सीडेंट विक्टिम्स को कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा दी जाएगी। यह सुविधा किसी भी रोड पर हुए एक्सीडेंट के लिए लागू होगी, चाहे वह स्टेट हाईवे हो, नेशनल हाईवे हो, या ग्राम पंचायत की सड़क।
स्कीम की प्रमुख बातें:
- एक्सीडेंट के बाद पुलिस को सूचना देने पर, विक्टिम को 24 घंटे के भीतर अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा।
- सात दिनों तक इलाज का पूरा खर्च सरकार वहन करेगी, जिसकी सीमा 2 लाख रुपये तक होगी।
- “हिट एंड रन” मामलों में मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
- एक्सीडेंट की सूचना देने वाले व्यक्ति को प्रोत्साहन राशि देने की योजना भी है।
हालांकि, ट्रक ड्राइवरों का मानना है कि यह योजना तभी उपयोगी होगी जब एक्सीडेंट के बाद उन्हें जनता के गुस्से का शिकार न बनना पड़े। अक्सर देखा गया है कि छोटे वाहनों की गलती होने पर भी ट्रक ड्राइवर को दोषी ठहराया जाता है और मौके पर ही मारपीट की जाती है। इस समस्या के समाधान के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान चलाने की भी जरूरत है।
स्क्रैप पॉलिसी और नई गाड़ियों पर छूट
बैठक में गाड़ियों की स्क्रैपिंग पॉलिसी पर भी जोर दिया गया। इसके तहत, यदि वाहन मालिक अपना पुराना वाहन स्क्रैप करते हैं, तो नई गाड़ी खरीदते समय उन्हें 50,000 रुपये तक की छूट मिलेगी।
पॉलिसी के फायदे:
- पुराने और प्रदूषणकारी वाहनों को हटाकर पर्यावरण को सुरक्षित करना।
- नई और बेहतर तकनीक वाली गाड़ियों का उपयोग बढ़ाना।
हालांकि, ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि यह लाभ मुख्य रूप से गाड़ी मालिकों को होगा, न कि उन ड्राइवरों को जो किराए पर गाड़ी चलाते हैं। इसके अलावा, स्क्रैपिंग प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना भी जरूरी है।
ड्राइवर ट्रेनिंग और रोजगार

सरकार ने 25 लाख नए ड्राइवरों को प्रशिक्षित करने और उन्हें लाइसेंस देने की योजना बनाई है। इसके लिए देशभर में ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटर्स खोले जाएंगे।
योजना की विशेषताएं:
- प्रशिक्षित ड्राइवरों की संख्या बढ़ेगी, जिससे ट्रांसपोर्ट सेक्टर में पेशेवरता आएगी।
- करीब 15 लाख लोगों को फिटनेस सेंटर्स और ट्रेनिंग सेंटर्स में रोजगार मिलेगा।
लेकिन, ड्राइवरों का कहना है कि भारत में ड्राइविंग करना एक मजबूरी बन चुका है, क्योंकि आरटीओ और पुलिस विभागों की भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी जैसी समस्याएं बनी हुई हैं।
ट्रक ड्राइवरों की समस्याएं
- सामाजिक धारणा: ट्रक ड्राइवरों को हमेशा गलत समझा जाता है। दुर्घटनाओं में अक्सर बिना गलती के उन्हें दोषी ठहराया जाता है।
- आरटीओ और पुलिस का भ्रष्टाचार: लाइसेंस बनवाने से लेकर गाड़ी फिटनेस तक, हर जगह भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है।
- काम के घंटे और सैलरी: ट्रक ड्राइवरों को लंबे समय तक काम करना पड़ता है, लेकिन उन्हें निश्चित समय और सैलरी की गारंटी नहीं मिलती।
- सुरक्षा: एक्सीडेंट के बाद ट्रक ड्राइवर की सुरक्षा एक अहम मुद्दा है।
ड्राइवरों के सुझाव
ड्राइवरों का कहना है कि सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- समयबद्ध और निश्चित सैलरी: ड्राइवरों के लिए एक मानक वेतन संरचना लागू की जाए।
- भ्रष्टाचार पर रोक: आरटीओ और पुलिस की मनमानी पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- सामाजिक जागरूकता: जनता को यह समझाने के लिए अभियान चलाए जाएं कि हर दुर्घटना में ट्रक ड्राइवर दोषी नहीं होता।
- सुरक्षा उपाय: एक्सीडेंट के बाद ड्राइवरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा लाई गई नीतियां सराहनीय हैं, लेकिन इनका प्रभाव तभी दिखाई देगा जब इन्हें जमीनी स्तर पर ईमानदारी से लागू किया जाएगा। ट्रक ड्राइवर, जो देश की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट चेन के सिपाही हैं, उनकी समस्याओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
सरकार को चाहिए कि वह नीतियों को इस तरह से डिजाइन करे कि ड्राइवरों को सीधा लाभ मिले और उनकी जिंदगी बेहतर हो सके। ट्रक ड्राइवरों की मेहनत और योगदान को पहचानना और सम्मान देना समय की मांग है।